राग तिलंग
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थाट | खमाज | |||
प्रकार | हिंदुस्तानी | |||
जाती | औडव औडव | |||
स्वर | ||||
आरोह | सा ग म प नि सां | |||
अवरोह | सां नि' प म ग सा | |||
वादी स्वर | ग | |||
संवादी स्वर | नी | |||
पकड | नी सा ग म प नी' प ग म ग सा | |||
गायन समय | रात्रीचा द्वितीय प्रहर | |||
गायन ऋतू | ||||
समप्रकृतिक राग | जोग | |||
उदाहरण | तारिणी नववसनधारिणी नाट्यगीत, नाटक - संगीत पट-वर्धन गायिका -माणिक वर्मा संगीतकार - गोविंदराव टेंबे | |||
इतर वैशिष्ट्ये | (वरील चौकटीत हलंत शब्द (पाय मोडलेला) हा कोमल स्वर दर्शवितो. तसेच, स्वरानंतर असलेले ' हे चिन्ह कोमल स्वर दर्शविते. तार सप्तकातील स्वरांवर टिंबे दिलेली आहेत ) |
राग तिलंग हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
ह्या रागात आरोहात शु्द्धनी तर अवरोहात कोमलनी असा दोन्ही निचा उपयोग केला जातो.
तिलंग रागातील काही गीते
इतना तो याद है मुझे (चित्रपट - मेहबूब की मेहंदी)
कैसे कहे हम (चित्रपट शर्मिली , गायक - किशोरकुमार , संगीत - एस. डी. बर्मन)
गोरी गोरी गॉंव की गोरी ये (चित्रपट - यह गुलिस्तॉं हमारा)
छोटासा बलमा आखियॉं नींद उडाये ले गयो (चित्रपट - रागिणी) (गायिका आशा भोसले, संगीत दिग्दर्शक ओ.पी नय्यर)
जैसे कहे हम (चित्रपट - शर्मीली)
तारिणी नववसनधारिणी (नाट्यगीत, नाटक - संगीत पट-वर्धन; गायिका - माणिक वर्मा; संगीतकार - गोविंदराव टेंबे)
मेरी कहानी भूलनेवाले तेरा जहॉं आबाद रहें (जुना दीदार)
मैं अपने आपसे घबरा गया हूॅं, मुझे ज़िंदगी दीवाना बना दें (बिन्दिया)
लगन तोसे लगी बलमा (देख कबीरा रोया)
हीच ती रामाची स्वामिनी ( गीत रामायण , कवि - ग दि माडगूळकर , संगीत - सुधीर फडके), वगैरे वगैरे.