महामहोपाध्याय
महामहोपाध्याय (= महा + महा + उपाध्याय; म्हणजे महान पुरोहितांमधेही महान) ही भारत सरकारद्वारा दिल्या जाणारी एक सन्मानिय पदवी आहे . स्वातंत्र्यपूर्वकाळात ब्रिटिश सरकार ही पदवी देत असे . त्याआधीही भारतीय राजांनी अनेक विद्वानांना ही पदवी बहाल केली होती. प्राचीन काळी शास्त्राशी संबंधित विषयांवर ग्रंथरचना करणाऱ्या विद्वानांना महामहोपाध्याय ही पदवी दिली जात असे.[१][२]
काही विद्वान ज्यांना महामहोपाध्यायच्या उपाधीने सुशोभित केल्या गेले-
- महामहोपाद्याय सुब्बराय शास्त्री,
- महामहोपाद्याय वा.वि. मिराशी,
- महामहोपाध्याय वासुदेवशास्त्री अभ्यंकर,
- महामहोपाध्याय पांडुरंग वामन काणे,
- महामहोपाध्याय डॉ. ब्रह्मानंद देशपांडे,
- महामहोपाध्याय सिद्धेश्वरशास्त्री चित्राव
- महामहोपाध्याय तर्कतीर्थ लक्ष्मणशास्त्री जोशी,
- महामहोपाध्याय दत्तो वामन पोतदार,
- महामहोपाध्याय साहित्याचार्य बाळशास्त्री हरदास,
- महामहोपाध्याय एन.सी. सत्यनारायण,
- महामहोपाध्याय डॉ.आर. सत्यनारायण,
- महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज,
- महामहोपाध्याय वागीश शास्त्री,
- महामहोपाध्याय रामेश्वर झा,
- महामहोपाध्याय राम अवतार शर्मा,
- महामहोपाध्याय श्रीगंगेशोपाध्याय,
- महामहोपाध्याय रायबहादूर गौरीशंकर ओझा,
- महामहोपाध्याय रेवप्रसाद द्विवेदी,
- महामहोपाध्याय कल्याण दत्त शर्मा,
- महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री,
- महामहोपाध्याय जयमंत मिश्रा,
- महामहोपाध्याय वेदम वेंकटराय शास्त्री,
- महामहोपाध्याय विश्वेश्वर नाथ रे
संदर्भ
- ^ "महामहोपाध्याय - हिंदी शब्दकोश में महामहोपाध्याय की परिभाषा और पर्यायवाची" (हिंदी भाषेत). १८ एप्रिल २०२१ रोजी पाहिले.
- ^ "चार विद्वानों को दी संस्कृत महामहोपाध्याय की उपाधि" (हिंदी भाषेत). १८ एप्रिल २०२१ रोजी पाहिले.