त्रिताप
आधि भौतिकताप
आधीभौतिक ताप
माणसांपासून माणसांना जो ताप होतो. त्यास आधिभौतिक ताप
उदा. भूती उपद्रव दिधला |
तडीला अथवा निस्तेजीला |
तेणे चित्ती दाहो झाला |
आधीभौतिक बोलीला तो ताप ||
संत निळोबाराय पिंपळनेरकर
सहा जन अग्नीशिवाय जळतात.
कुग्रामवासःकुलहिनसेवा कुभोजनं क्रोधमुखश्च भार्या विधवस्य कन्या मूर्खश्च पुत्रो विना अग्नि दहन्ति षड्
सुभाषितम्
अर्थ : गावगुंड, कुळहीन माणसाची सेवा, वाईट जेवण, भांडकुदळ बायको, विधवा कन्या व मूर्ख पुत्र हे अग्निशिवाय जळतात.
संर्दभ : पारमार्थिक शतकोटी - भाग २ पान १५७
-------------------------------------------------------------------------------------
आधिदैविक ताप
आधीदैविक ताप
निसर्गाच्या कोपामुळे जे नुकसान होतो व दुःख होतो त्यास आधीदैविक ताप म्हतात. उदा. अतिवृष्टी, राजाने लुटणे, आगीमध्ये नुकसान होणे, वादळाने अथवा भूकंपाने नुकसान ताप होतो.
दैवे अतिवृष्टी कां अनावृष्टी |
राजीके लुटीले झाला कष्टी |
आगीने जळता नावरे संकटी |
तो आधिदैविक ताप बोलिजे ||
संत निळोबाराय पिंपळनेरकर
----------------------------------------------------------------------------------------------
आध्यात्मिक ताप
शरीरात असाध्य रोग निर्माण होतात.
बरेच प्रयत्न करूनसुद्धा बरे होत नाहीत. त्यामुळे दुःख होते.त्यास आध्यात्मिक ताप म्हणतात.
आध्यात्मिक ताप
देही प्रगटे रोग व्याधी |
तेणे आहाळली तापे बुद्धी |
लोळे न पुरे दुःखावधी |
आध्यात्मिक त्रिशुद्धी तो ताप ||
संत निळोबाराय पिंपळनेरकर
-------------------------------------------------------------------------------------------