गरुड पुराण
वेदिक संस्कृतील हा महत्त्वाचा ग्रंथ मानला जातो. या ग्रंथात माणसाने मनुष्य योनीत केलेल्या प्रत्येक पापाबद्दल त्याला होणाऱ्या शिक्षेचे वर्णन आहे.
सर्वसाधारणपणे हा ग्रंथ मनुष्य मेल्यानंतर गीतेच्या १५ व्या अध्यायाचे पारायण करून झाल्यानंतर वाचतात.
| हिंदू धर्मग्रंथावरील लेखमालेचा भाग | |
| वेद | |
|---|---|
| ऋग्वेद · यजुर्वेद | |
| सामवेद · अथर्ववेद | |
| वेद-विभाग | |
| संहिता · ब्राह्मणे | |
| आरण्यके · उपनिषदे | |
| उपनिषदे | |
| ऐतरेय · बृहदारण्यक | |
| ईश · तैत्तरिय · छांदोग्य | |
| केन · मुंडक | |
| मांडुक्य ·प्रश्न | |
| श्वेतश्वतर ·नारायण | |
| कठ | |
| वेदांग | |
| शिक्षा · छंद | |
| व्याकरण · निरुक्त | |
| ज्योतिष · कल्प | |
| महाकाव्य | |
| रामायण · महाभारत | |
| इतर ग्रंथ | |
| स्मृती · पुराणे | |
| भगवद्गीता · ज्ञानेश्वरी · गीताई | |
| पंचतंत्र · तंत्र | |
| स्तोत्रे ·सूक्ते | |
| मनाचे श्लोक · रामचरितमानस | |
| शिक्षापत्री · वचनामृत | |