उपनिषद
उपनिषद शब्दार्थ
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वेदांच्या अखेरच्या रचनेतील ग्रंथ. शब्दशः गुरूंजवळ बसून मिळवलेली विद्या.
उपनिषद साहित्यात प्राचीन भारतीय तत्त्वविचार आले आहेत. उप या उपसर्गाचा अर्थ आहे ‘जवळ’ आणि सद् याचा अर्थ आहे बसणे. गुरूंच्या जवळ परमार्थ विद्या समजून घेणे असा याचा अर्थ आहे.
अन्य नावे
वैदिक साहित्यात उपनिषदे ही सर्वात शेवटी येतात म्हणून त्यांना ‘वेदान्त’ असेही म्हणले जाते. काही उपनिषदे गद्यात असून काही पद्यात आहेत. उपनिषदे तत्त्वज्ञान सांगतात म्हणून त्यांना ‘ब्रह्मविद्या’ असेही म्हणतात.
उपनिषदातील आशय
या साहित्यात प्रामुख्याने धर्म, सृष्टी आणि आत्मा किंवा परमात्मा याविषयी चर्चा केली दिसून येते. ब्रह्म काय आहे? ब्रह्मप्राप्ती कोणत्या उपायाने होते? आत्मा म्हणजे काय? यांची सविस्तर चर्चा या साहित्यात आहे. मोक्ष कल्पना, नीतिकल्पना, असे विषयही उपनिषद साहित्याने हाताळले आहेत.
प्रमुख उपनिषदे
१. ईश, २. केन, ३. कठ, ४. प्रश्न, ५. मुंडक, ६. मांडूक्य, ७. तैत्तिरीय, ८. ऐतरेय, ९. छांदोग्य, १०. बृहदारण्यक, ११. श्वेताश्वतर ही प्रमुख उपनिषदे मानली जातात.
गौण उपनिषदे
या प्रमुख उपनिषदांसह काही गौण उपनिषदेही आहेत. उपनिषदांची एकूण संख्या १०८ च्या आसपास असावी. अथर्वशीर्ष तसेच गीता यांनाही उपनिषद म्हणून गौरविण्यात आले आहे.[१]
एकशे आठ उपनिषदे
ऋग्वेदाच्या २१ शाखा,
यजुर्वेदाच्या १०९
सामवेदाच्या १०००
आणि
अथर्ववेदाच्या ५० अशा एकूण ११८० शाखागणिक असलेल्या उपनिषदांपैकीं प्रमुख उपनिषदे १०८ आहेत ती अशी:-
१ ईशावास्य, २ केन, ३ कठ, ४ प्रश्न, ५ मुण्ड, ६ माण्डुक्य, ७ तैत्तिरीय, ८ ऐतरेय, ९ छांदोग्य, १० बृहदारण्य, ११ ब्रम्ह, १२ कैवल्य, १३ जाबाल, १४ श्वेताश्वेतर, १५ हंस, १६ आरुणि, १७ गर्म, १८ नारायण, १९ परम, (हंस) २० (अमृत) बिंदु, २१ (अमृत) नाद, २२ (अथर्व) शिरस्. २३ (अथर्व) शिखा, २४ मैत्रायिणी, २५ कौषीतकी, २६ बृहज्जाबाल, २७ नृसिंहतापिनी, २८ कालाग्निरुद्र, २९ मैत्रेयी, ३० सुबाल, ३१ क्षुरि (का) ३२ मन्त्रिका, ३३ सर्वसार, ३४ निरालंब, ३५ शुक (रहस्य), ३६ वज्रसूचिका, ३७ तेजो - (बिन्दु), ३८ नाद - (बिन्दु ३९ ध्यान-बिन्दु, ४० ब्रह्मविद्या, ४१ योगतत्त्व, ४२ आत्मबोधक, ४३ (नारद)- परिव्राजक, ४४ त्रिशिखि - (ब्राह्मण) ४५ सीता, ४६ (योग) चूडा - (मणि), ४७ निर्वाण, ४८ मण्डल- (ब्राह्मण) ४९ दक्षिणा - (मूर्ती) ५० शरम, ५१ स्कंद, ५२ महानारायण, ५३ अद्वय - (तारक) ५४ राम - (रहस्य) ५५ रामतपन, ५६ वासुदेव, ५७ मुद्गल, ५८ शाण्डिल्य, ५९ पिङ्गल, ६० भिक्षुक, ६१ महा, ६२ शारीरक, ६३ (योग)- शिखा, ६४ तुर्यातीत, ६५ संन्यास, ६६ (परमहंस)- परिव्राजक, ६७ अक्षमालिका, ६८ अव्यक्त, ६९ एकाक्षर, ७० (अन्न)- पूर्णा, ७१ सूर्य, ७२ अक्षिक, ७३ अध्यात्म, ७४ कुण्डिका, ७५ सावित्री, ७६ आत्म, ७७ पाशुपत, ७८ परव्रह्म, ७९ अवधूतक, ८० त्रिपूर तापन, ८१ देवी, ८२ त्रिपुर, ८३ कठ (रुद्र) ८४ भावना, ८५ रुद्र - (ह्रदय) ८६ (योग)- कुण्डली, ८७ भस्म - (जाबाल), ८८ रुद्राक्ष, ८९ गण - (पति) ९० (श्री जाबाल)- दर्शन, ९१ तारसार, ९२ महावाक्य, ९३ पञ्चब्रह्म, ९४ प्राण - (अग्निहोत्र), ९५ गोपाल (पूर्वतापिनी-उत्तरतापिनी), ९६ कृष्ण, ९७ याज्ञवल्क्य, ९८ वराह, ९९ शाठयानीय, १०० हयग्रीव, १०१ दत्तात्रेय, १०२ गरुड, १०३ कलि (संतराण), १०४ जाबालि, १०५ सौभाग्यलक्ष्मी, १०६ सरस्वती (रहस्या), १०७ बव्ह्रच आणि १०८ मुक्तिकोपनिषद. " अष्टोत्तरशतस्यादौ प्रामाण्यं मुख्यमीरितम. " (रा. गी. १८-३)
अन्य दुय्यम महत्त्वाची उपनिषदे:
- अथर्वशिखा
- अथर्व शिरस
- अद्वयतारक
- अद्वैत
- अध्यात्म
- अन्नपूर्णा
- अमृतनाद
- अमृतबिंदू
- अवधूत
- अव्यक्त
- अक्षमाला
- अक्षी
- आचमन
- आत्म
- आत्मपूजा
- आत्मप्रबोध
- दत्तोपनिषद
- शांडिल्योपनिषद
हे सुद्धा पहा
- उपनिषद सूची
मराठी पुस्तके
- आपले वेद : आपली उपनिषदे : आपली पुराणे (पुस्तक, पाने ४८९५; लेखक - डॉ. प्र.न. जोशी, श्री.के. देवधर)
- ईशादि नौ उपनिषद् (हिंदी, गीता प्रेस)
- उपनिषदांचा अभ्यास (पुस्तक, लेखक - प्रा. के.वि. बेलसरे)
- उपनिषदार्थ कौमुदी : भाग १ - ईशावास्य आणि मांडुक्य; (अनंत दामोदर आठवले-वरदानंदस्वामी))
- उपनिषदे एक जीवनग्रंथ (संपादित, मॅजेस्टिक प्रकाशन)
- उपनिषदे सांगती कथा (बालसाहित्य, लेखिका - डॉ. शैलजा रानडे)
- १०८ उपनिषद (हिंदी, भवान सिंह राणा)
- मूळ संस्कृतमध्ये असलेल्या एकूण ७ उपनिषदांचे शांकरभाष्याला धरून केलेले मराठी भाषांतर (कृष्णराव अर्जुन केळूसकर)
- विष्णू वामन बापट यांची ईशावास्य उपनिषद, ऐतरेय उपनिषद, तैत्तिरीय उपनिषद, प्रश्नोपनिषद, वगैरे (सर्व शांकरभाष्यासहित) ही सर्व पुस्तके ऑनलाईन उपलब्ध आहेत.
- हिंदुत्वाचे उपनिषद (लेखक - बाबासाहेब आचरेकर)
- उपनिषदांचे रहस्य प्राचीन गुरुपरंपरेने समजून घेण्यासाठी https://m.youtube.com/my_videos?disable_polymer=true&csn=ht38W7PGLOSzz7sP3ueJ-AI या लिंकवर जा
- ईश उपनिषद - श्रीअरविंद, प्रकाशक- श्रीअरविंद आश्रम, अनुवाद - सेनापती बापट, प्रथम आवृत्ती १९६९, ISBN 978-81-7058-790-3
संदर्भ
- ^ भारतीय संस्कृती कोश ,खंड पहिला