ईश उपनिषद (पुस्तक)
ईश उपनिषद हे पुस्तक म्हणजे म्हणजे श्रीअरविंद लिखित उपनिषद्स [१] या इंग्रजी पुस्तकातील ईश उपनिषदाचे भाषांतर आहे. सेनापती पां.म.बापट यांनी हे भाषांतर केले आहे. मूळ इंग्रजी पुस्तकात ईश उपनिषदाखेरीज इतर उपनिषदांचाही समावेश आहे.
| ईश उपनिषद | |
| लेखक | श्रीअरविंद |
| मूळ शीर्षक (अन्य भाषेतील असल्यास) | Isha Upanishad |
| अनुवादक | सेनापती पां.म.बापट |
| भाषा | इंग्रजी - मराठी |
| देश | भारत |
| साहित्य प्रकार | भाष्यग्रंथ |
| प्रकाशन संस्था | श्रीअरविंद आश्रम ट्रस्ट |
| प्रथमावृत्ती | १९६९ |
| चालू आवृत्ती | २०२० |
| विषय | ईश उपनिषदाचे भाषांतर व त्यावरील भाष्य |
| पृष्ठसंख्या | १४६ |
| आय.एस.बी.एन. | 978-81-7058-790-3 |
पुस्तकाची मांडणी
या पुस्तकाचे प्रमुख दोन विभाग आहेत.
पहिल्या भागात ईश उपनिषदाची मूळ संहिता आणि त्याचे भाषांतर आले आहे.
दुसऱ्या भागाचे शीर्षक पृथक्करण असे आहे. याची मांडणी पुढीलप्रमाणे आहे.
| क्र. | विभागाचे नाव | प्रकरणे |
|---|---|---|
| ०१ | प्रास्ताविक | उपनिषदाची वैचारिक योजना |
| ०२ | पहिली विचारधारा | |
| निवास करणारा ईश्वर | ||
| ०३ | दुसरी विचारधारा | |
| ब्रह्मन् | ||
| आत्मसाक्षात्कार | ||
| ०४ | तिसरी विचारधारा | |
| ईश्वर | ||
| विद्या आणि अविद्या | ||
| संभूती आणि असंभूती | ||
| ०५ | चौथी विचारधारा | |
| लोक-सूर्य | ||
| कृती आणि ईश्वरी इच्छा | ||
| ०६ | समाप्ती आणि सारांश |
पुस्तकाचे वैशिष्ट्य
पुस्तकामध्ये तळटिपा देण्यात आल्या आहेत, त्यामुळे पुस्तकाचे संदर्भ-मूल्य वाढले आहे.[२]
