अब्दुल वहीद खान
| अब्दुल वहीद खान | |
|---|---|
| टोपणनावे | उस्ताद बेहरे वहीद खान |
| आयुष्य | |
| जन्म | १८७१ |
| जन्म स्थान | कैराना, उत्तर प्रदेश |
| मृत्यू | १९४९ |
| मृत्यू स्थान | सहारनपुर, उत्तर प्रदेश |
| व्यक्तिगत माहिती | |
| धर्म | इस्लाम |
| वांशिकत्व | भारतीय |
| नागरिकत्व | |
| मूळ_गाव | कैराना, उत्तर प्रदेश |
| देश | भारत |
| भाषा | हिंदी |
| पारिवारिक माहिती | |
| वडील | उस्ताद अब्दुल माजीद खान |
| अपत्ये | उस्ताद हाफीजुल्लाह खान |
| नातेवाईक | उस्ताद अब्दुल करीम खान |
| संगीत साधना | |
| गुरू | उस्ताद लंगडे हैदर बक्ष खान |
| गायन प्रकार | शास्त्रीय संगीत |
| घराणे | किराणा घराणे |
| संगीत कारकीर्द | |
| पेशा | शास्त्रीय गायक |
| विशेष कार्य | • किराणा घराण्याची स्थापना, • विलंबित खयाल राग निर्मिती |
उस्ताद अब्दुल वहीद खान उर्फ बेहरे वहीद खान (१८७१ -१९४९) हे भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक नामवंत गायक असून त्यांनी उस्ताद अब्दुल करीम खान सोबत मिळून प्रख्यात किराणा घराण्याची स्थापना केली.[१][२][३]
इ.स. १८५७ च्या पराभवानंतर मुघल सत्तेचा अंत झाला. राजदरबारातील गायक असलेले अनेक घराणे तेव्हा दिल्लीहून उत्तर प्रदेश मधील कैराना येथे स्थलांतरित झाले. त्यात वहीद खान यांचे आई-वडील सुद्धा होते. इ.स. १८७१ मध्ये कैराना येथे वहीद खान यांचा जन्म झाला. वयाच्या बारा वर्षांपर्यंत वहीद खान यांनी त्यांचे वडील उस्ताद अब्दुल माजीद खान यांच्याकडून सारंगी वादन आणि शास्त्रीय गायनाचे धडे शिकले. बाराव्या वर्षी ते कोल्हापूर येथील उस्ताद लंगडे हैदर बक्ष खान यांच्याकडे पुढील गायकी शिकण्यासाठी गेले.[१]
शिष्य
- पंडित जयचंद भट
- बेगम अख्तर
- हिराबाई बडोदेकर
- सुरेशबाबू माने
- राम नारायण
- सरस्वतीबाई राणे
- प्राण नाथ
- सुखदेव प्रसाद
- राम नारायण
- मोहम्मद रफी