शिक्षा
सहा प्रकारच्या वेदांगामधील शिक्षा हे एक स्वतंत्र शास्त्र आहे.हे पहिले वेदांग आहे.व्युत्त्पत्तीच्या दृष्टीने स्वर ,वर्ण आदींचा उच्चार कसा करावा हे शिकविणारी विद्या म्हणजे शिक्षा.स्वर तीन प्रकारचे असतात.उदात्त,अनुदात्त,स्वरित.स्वराचा उच्चार करायला जो वेळ लागतो त्याला मात्रा असे म्हणतात.-हस्व,दीर्घ,प्लुत अशा तीन मात्रा आहेत. वैदिक काळापासूनच वेदांगाकडे वैदिक ऋषींचे लक्ष वेधले गेले होते.तैत्तिरीय उपनिषदात शिक्षेची वर्ण,स्वर,मात्रा,बल,साम आणि संतान अशी सहाप्रकारची अंगे सांगितली आहेत.
इतिहास
शिक्षाशास्त्राचा महत्त्वाचा पूर्णपणे आधारित ग्रंथ म्हणजे "पाणिनीय शिक्षा" होय. या ग्रंथात साठ श्लोक असून याचा इतिहास खूप जुना आहे पण याचे मूळ ग्रंथ आता मिळू शकत नाहीत.महाभारताच्या शांतिपर्वात आचार्य गालव कृत अहसा एका शिक्षाशास्त्राचा उल्लेख येतो शिक्षणाच्या संदर्भामध्ये अनेक महत्त्वपूर्ण घडामोडी या काळामध्ये घडलेल्या आहेत रामायण तसेच महाभारत हे त्याचे उत्तम उदाहरण आहेत या काळातील शिक्षण शिक्षण पद्धती शिक्षकांचे स्थान या सर्वच गोष्टी महत्त्वाच्या होत्या याचा निर्देश हा या काळातील रामायण आणि महाभारत या महाकाव्याच्या आधारित देखील येतो.[१]
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- ^ पांडे सुरुची,संस्कृत साहित्याचा इतिहास भाग १