शंकर नारायण नवरे
| शंकर नारायण नवरे |
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शंकर नारायण नवरे उर्फ शन्ना (जन्म : २१ नोव्हेंबर, १९२७ - २५ सप्टेंबर, इ.स. २०१३) हे मराठी लेखक, नाटककार व पटकथाकार होते. मध्यमवर्गीय माणसाचे अनुभव व भावनाविश्व रेखणाऱ्या कथानकांसाठी ते ओळखले जातात. शन्नाडे या नावाने त्यांनी वृत्तपत्रांतूनही स्तंभलेखन केले आहे. त्यांचे एकूण २७ कथासंग्रह आहेत. शं.ना. नवरे यांनी जयवंत दळवी यांच्या महानंदा कादंबरीवरून ’गुंतता हृदय हे’ हे नाटक लिहिले आहे. हे नाटक अमाप गाजले.
डोंबिवलीत झालेल्या २००३सालच्या नाट्यसंमेलनाचे ते अध्यक्ष होते. त्यांना लेखनातून मिळणाऱ्या पैशांचा मोठा हिस्सा ते पडद्यामागच्या कलाकारांसाठी खर्च करीत असत. कायम पडद्यामागे काम करणाऱ्या नाट्यकर्मींसाठी त्यांनी नाट्यसंमेलनातच ७५ हजार रुपयांचा धनादेश दिला होता.
ते डोंबिवलीत रहात. त्यांच्या पत्नीचे नाव अंजली, मुलाचे अरुण, सुनेचे जान्हवी. मुलगी राधिका, नातू शंतनू आणि पणतू ओम. वयाच्या ८६व्या वर्षी शं.ना. नवरे यांचे निधन झाले. अरुण आणि जान्हवी हे दोघेही ॲडव्होकेट आहेत.
प्रकाशित साहित्य
| नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
|---|---|---|---|
| अघळपघळ | व्यक्तिचित्रण आणि आठवणी | नवचैतन्य प्रकाशन | |
| अट्टहास | कादंबरी | ||
| अनावर | कथासंग्रह | ||
| आनंदाचे झाड | कादंबरी | ||
| इंद्रायणी | कथासंग्रह | ||
| ऊनसावल्या | नवचैतन्य प्रकाशन | ||
| एकमेक | कथासंग्रह | ||
| ओलीसुकी | स्तंभलेखसंग्रह | लोकसत्ता, दिलीप प्रकाशन | |
| कस्तुरी | कथासंग्रह | ||
| कळत नकळत | पटकथा | ||
| काला पहाड | एकांकिका | ||
| कैवारी | पटकथा | ||
| कोवळी वर्षे | कथासंग्रह | ||
| कौलं | कादंबरी | नवचैतन्य प्रकाशन | |
| खलिफा | कथासंग्रह | ||
| खेळीमेळी | नाटक | ||
| गहिरे रंग | नाटक | ||
| गुंतता हृदय हे | नाटक | ||
| गुलाम | नाटक | ||
| घरकुल | पटकथा | ||
| जत्रा | कथासंग्रह | ||
| जनावर | एकांकिका | ||
| झब्बू | कथासंग्रह | ||
| झोका | नवचैतन्य प्रकाशन | ||
| [[]] | |||
| झोपाळा | स्तंभलेख | दैनिक महानगर, दीपरेखा प्रकाशन | |
| डाग | एकांकिका | ||
| तिन्हीसांजा | नवचैतन्य प्रकाशन | ||
| तिळा दार उघड | कथासंग्रह | ||
| तू तिथं मी | पटकथा | ||
| दिनमान | कादंबरी | ||
| दिवसेंदिवस | कादंबरी | ||
| देवदास | नाटक | ||
| दोघांमधले नाते | नाटक | ||
| दोन यमांचा फार्स | एकांकिका | ||
| धुक्यात हरवली वाट | नाटक | ||
| नवरा म्हणू नये आपला | नाटक | ||
| निवडक शंना | कथासंग्रह | ||
| निवडुंग | कथासंग्रह | ||
| निवडुंग | पटकथा | ||
| परिमिता | कथासंग्रह | ||
| पर्वणी | विनोदी | नवचैतन्य प्रकाशन | |
| पसंत आहे मुलगी | नाटक | ||
| पैठणी | कथासंग्रह | ||
| बाजीरावचा बेटा | पटकथा | ||
| बिलोरी | कथासंग्रह | ||
| बेला | कथासंग्रह | ||
| भांडण | कथासंग्रह | ||
| मन पाखरू पाखरू | नाटक | ||
| मनातले कंस / एकमेक | दोन भागातील कथा संग्रह | नवचैतन्य प्रकाशन | |
| मर्जीतल्या फुला | कथासंग्रह | ||
| मला भेट हवी हो | नाटक | ||
| मार्ग | एकांकिका | ||
| मार्जिनाच्या खुणा | कथासंग्रह | ||
| मेणाचे पुतळे | कथासंग्रह | ||
| मोरावर चोर | एकांकिका | ||
| रंगसावल्या | नाटक | ||
| वर्षाव | नाटक | ||
| वारा | कथासंग्रह | ||
| शन्ना डे | स्तंभलेखसंग्रह | ||
| शहाणी सकाळ | नाटक | ||
| शांताकुकडी | कथासंग्रह | ||
| सखी | कथासंग्रह | ||
| सर्वोत्कृष्ट शन्ना | कथासंग्रह | ||
| सवत माझी लाडकी | नाटक | ||
| संवाद आणिनो प्रॉब्लेम | कादंबरी | नवचैतन्य प्रकाशन | |
| सुरूंग | कादंबरी | नवचैतन्य प्रकाशन | |
| सूर राहू दे | नाटक | ||
| हसत हसत फसवुनी | नाटक |
तिन्हीसांजा, ,
शं.ना. नवरे यांना मिळालेले पुरस्कार
- गदिमा प्रतिष्ठानचा गदिमा पुरस्कार (नोव्हेंबर २००८)
- डोंबिवली भूषण पुरस्कार
- विष्णूदास भावे पुरस्कार (नोव्हेंबर २००९)
- साहित्यसेवा पुरस्कार (ऑगस्ट २००८)
गौरव
- मराठी नाट्य संमेलनाचे अध्यक्ष
संकीर्ण
शं.ना. नवरे यांच्यावर 'गोष्टीवेल्हाळ शन्ना' हा लघुपट निघाला आहे. काही जुन्या नाटकांचे दुर्मिळ चलत् चित्रण व जुन्या सहकाऱ्यांनी (डॉ. जब्बार पटेल, विक्रम गोखले, बाळ कुडतरकर, प्रदीप वेलणकर इ.) सांगितलेल्या शन्नांच्या रमणीय आठवणी या लघुपटात अनुभवायला मिळतात.