राग बैरागी
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| थाट | भैरव | |||
| प्रकार | हिंदुस्तानी | |||
| जाती | औडव औडव | |||
| स्वर | ||||
| आरोह | सा रे' म प नि' सां | |||
| अवरोह | सां नि' प म रे' सा | |||
| वादी स्वर | म | |||
| संवादी स्वर | सा | |||
| पकड | ||||
| गायन समय | दिवसाचा पहिला प्रहर | |||
| गायन ऋतू | ||||
| समप्रकृतिक राग | ||||
| उदाहरण | ओंकार स्वरूपा सद्गुरू समर्था गायक आणि संगीत श्रीधर फडके | |||
| इतर वैशिष्ट्ये | (वरील चौकटीत स्वरानंतर असलेले ' हे चिन्ह कोमल स्वर दर्शविते. तार सप्तकातील स्वरावर टिंब दिलेले आहे.) | |||
राग बैरागी हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
ह्या रागाला बैराग किंवा बैरागी भैरव असेही म्हणतात. प्रसिद्ध सतार वादक पं रविशंकर यांना हा राग लोकप्रिय करण्याचे श्रेय दिले जाते. [१]
बैरागी रागातील काही गाणी
- ओंकार स्वरूपा सद्गुरू समर्था (गायक आणि संगीतकार श्रीधर फडके)
- गर्द सभोती रान साजणी (नाट्यगीत, संगीत मत्स्यगंधा, कवि - बालकवी, गायिका - आशालता वाबगावकर, संगीत - पं. जितेंद्र अभिषेकी)
- तेरे बिना जियाना लागे (चित्रपट पर् देके पीछे, संगीतकार शंकर जयकिशन, गायिका लता मंगेशकर)
- पैल तो गे काऊ कोकताहे (अभंग, संत ज्ञानेश्वर, गायिका- लता मंगेशकर, संगीत - पं. हृदयनाथ मंगेशकर)
- मैं एक राजा हूॅं (चित्रपट - उपहार, संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, गायकमोहम्मद रफी]])
संदर्भ
- ^ नादवेध - सुलभा पिशवीकर, अच्युत गोडबोले. पुणे: राजहंस प्रकाशन. २०१३. p. 25. ISBN 81-7434-332-6.