दत्ता भट
| दत्ता भट | |
|---|---|
| जन्म | दत्ता भट २४ डिसेंबर, इ.स. १९२१ |
| मृत्यू | एप्रिल १, इ.स. १९८४ |
| राष्ट्रीयत्व | भारतीय |
| कार्यक्षेत्र | अभिनय |
| भाषा | मराठी |
दत्ता भट (२४ डिसेंबर, इ.स. १९२४ - १ एप्रिल, इ.स. १९८४)हे एक मराठी नाट्य-चित्रपट अभिनेते आणि नाट्यदिग्दर्शक होते. त्यांनी अनेक मराठी नाटकांतून अजरामर भूमिका केल्या. वि.वा. शिरवाडकर यांच्या नटसम्राटच्या ४०० प्रयोगांमध्ये दत्ता भट हे गणपतराव बेलवरकरांच्या भूमिकेत होते. त्यानंतर प्रकृतिअस्वास्थ्यामुळे त्यांनी ती भूमिका सोडली.
दत्ता भट यांनी डॉक्टर लागू, तुझे आहे तुजपाशी, फुलाला सुगंध मातीचा, आणि वेडा वृंदावन या नाटकांचे दिग्दर्शन केले आहे.
आत्मचरित्र
दत्ता भट यांचे ’झाले मृगजळ आता जलमय’ या नावाचे आत्मचरित्र ’आरती प्रकाशन’ने प्रसिद्ध केले आहे. याशिवाय त्यांचे ’जेथे जातो तेथे’ हे पुस्तकही आहे.
दत्ता भट यांनी काम केलेले चित्रपट
- आम्ही जातोआमच्या गावा
- गोलमाल (हिंदी)
- चूल आणि मूल
- भन्नाट भानू
- रामनगरी (हिंदी)
- सिंहासन
दता भट यांनी काम केलेली नाटके आणि त्यातील त्यांची भूमिका
| नाटकाचे नाव | भूमिकेतील पात्राचे नाव |
| अखेरचा सवाल | |
| ऑथेल्लो | आयागो |
| आपुले मरण देखिले म्यां डोळा | |
| गरिबी हटाव | |
| गार्बो | श्रीमंत |
| जेथे जातो तेथे | आनंद सुखात्मे |
| तो मी नव्हेच | सय्यद मन्सूर |
| नटसम्राट | गणपतराव बेलवलकर |
| पती गेले गं काठेवाडी | डी.एस.पी. राणे/डॉ. राणे |
| पिकलं पान हिरवं रान | |
| बावरली हरिणी | गुलाबराव पाटील |
| बिऱ्हाड बाजलं | गुळगुळे/ गोगटे/ गोळे |
| भल्याकाका | |
| भोवरा | भाऊसाहेब/जोरावरसिंग |
| भ्रमाचा भोपळा | जहागीरदार |
| मंतरलेली चैत्रवेल | |
| माता द्रौपदी | अस्वत्थामा |
| मी जिंकलो मी हरलो | प्रोफेसर |
| मेजर चंद्रकांत | समेळ गुरुजी |
| रातराणी | देवदत्त पाळंदे |
| विदूषक | रायसाहेब |
| संघर्ष | |
| ससा आणि कासव | हेडक्लार्क नाना |
| साष्टांग नमस्कार | भद्रायू |
| सुखाचा शोध | नायक |
| सूर्याची पिल्ले | |
| सोन्याची खाण | डॉ. जयसूर्य |