गीताई
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गीताई हे विनोबा भावे यांनी भगवद्गीताचे मराठीत केलेले ओवीबद्ध भाषांतर होय. गीतेतील श्लोकांच्या अर्थाचा आशय न बदलता त्यातील श्लोकांचे भाषांतर किंवा समश्लोकी रचना विनोबा यांनी केली आहे. हे लेखन विनोबा भावे यांनी १९३२ साली केले. याच्या २०१७ सालापर्यंत २६८ आवृत्या प्रकाशित झाल्या आहेत.[१] आपल्या आईला भगवत गीता समजावी म्हणून त्यांनी भगवद्गीतेचे भाषांतर मराठीत केले.
ताई माउली माझी, तिचा मी बाळ नेणता |
पडता रडता घेई उचलुनी कडेवरी||
या शब्दात विनोबा यांनी गीताईचे महत्त्व वर्णन केले आहे.
पूरक वाचन
गीता प्रवचने (पुस्तक) - विनोबा, परंधाम प्रकाशन, पवनार, आवृत्ती ५९ वी, २०१९
संदर्भ
- ^ "Acharya Vinoba Bhave". Acharya Vinaoba Bhave. 2023-03-30 रोजी मूळ पान पासून संग्रहित. 5 Oct 2018 रोजी पाहिले.