गिरिजा कीर
| गिरिजा कीर | |
|---|---|
| जन्म | ५ फेब्रुवारी १९३३ धारवाड, कर्नाटक, भारत |
| मृत्यू | ३१ ऑक्टोबर २०१९ बांद्रे-मुंबई |
| राष्ट्रीयत्व | |
| कार्यक्षेत्र | साहित्य |
| भाषा | मराठी |
| साहित्य प्रकार | कथा, कादंबरी |
गिरिजा कीर (जन्म : धारवाड, ५ फेब्रुवारी १९३३; - मुंबई, ३१ ऑक्टोबर २०१९) या मराठी भाषेतील लेखिका आणि कथाकथनकार होत्या.
बालपण
गिरिजा कीर या माहेरच्या रमा नारायणराव मुदवेडकर. मुंबई विद्यापीठाची बी. ए.ची पदवी मिळविल्यानंतर गिरिजाबाईंच्या लेखनाला सुरुवात झाली.
लेखन
किर्लोस्कर, प्रपंच, ललना इ. मासिकातून त्यांच्या कथा प्रसिद्ध झाल्या. गिरिजाबाईंनी विविध वाङ्मयप्रकारांत आपले लेखन केले. त्यांची एकूण ८५ पुस्तके प्रकाशित झाली आहेत. त्यात कथा, कादंबरी, मुलाखती, प्रवासवर्णने, बालसाहित्य इत्यादी विविधता आहे. १९६८ ते १९७८ या काळात अनुराधा मासिकाची साहाय्यक संपादिका म्हणूनही त्यांनी काम केले. हे काम करीत असताना सामाजिक प्रश्नांसंबंधीच्या प्रेमापोटी कामगार वस्ती, कुष्ठरोग्यांची वस्ती आणि आदिवासी भागात जाऊन त्यांनी त्यांच्या जीवनाचा जवळून अभ्यास केला. त्यांनी त्यांचे पुष्कळसे लिखाण या अनुभवांतूनच लिहिले आहे.[ संदर्भ हवा ]
गिरिजाघर, देवकुमार, चांदण्याचं झाड, चंद्रलिंपी, चक्रवेध, स्वप्नात चंद्र ज्याच्या, आभाळमाया, आत्मभान, झपाटलेला इ. गिरिजाबाईंच्या कादंबऱ्याही लोकप्रिय आहेत. गाभाऱ्यातील माणसं, जगावेगळी माणसं, कलावंत, साहित्य सहवास ही त्यांची व्यक्तिचित्रणात्मक पुस्तके आहेत. त्यांनी बालसाहित्यावरही बरेच लेखन केले आहे. त्यांच्यातील लेखिका ही शृंगारिक तशीच गंभीर आणि अंतर्मुखही दिसते. तसेच त्या उत्कृष्ट कथाकथनही करीत असत. त्यांचे दोन हजाराहून अधिक कथाकथनाचे कार्यक्रम देशां-परदेशांत झाले आहेत.[१]
गिरिजा कीर यांचे प्रकाशित झालेले "जन्मठेप" हे पुस्तक त्यांनी ६ वर्षे येरवडा तुरुंगातील जन्मठेप झालेल्या कैद्यांवर संशोधन करून लिहिले आहे.[२]
प्रकाशित साहित्य (एकूण ८५ पुस्तके)
| नाव | साहित्यप्रकार | प्रकाशन | प्रकाशन वर्ष (इ.स.) |
|---|---|---|---|
| अनिकेत | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| असं का झालं | |||
| असं घडायचं होतं (कथासंग्रह) | मधुराज प्रकाशन | ||
| अक्षरलावण्य | ललित | मधुराज पब्लिकेशन्स | |
| आकाशवेध | कथा | मेहता पब्लिशिंग हाऊस | |
| आत्मभान | दिलीपराज | १९९० | |
| आभाळ भरून आलंय | दिलीपराज | १९९३ | |
| आभाळमाया | |||
| आळी मिळी गुपचिळी (विनोदी नाटक) | उद्वेली बुक्स | ||
| इटुकल्या पिटुकल्या गोष्टी (बालसाहित्य) | |||
| इथं दिवा लावायला हवा | सुयोग | १९९६ | |
| ओंजळीतलं पसायदान | |||
| कट्ट्यावरील गप्पा | परचुरे प्रकाशन मंदिर | ||
| कण कण क्षण क्षण | भरारी पब्लिकेशन्स | ||
| कथाजागर | |||
| कलावंत | |||
| कवडसे | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| कुणा नामदेवाची चित्तरकथा | भरारी प्रकाशन | ||
| कुमारांच्या साहित्यकथा (बालसाहित्य) | |||
| कोरीव लेणीं (कथासंग्रह) | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| गाभाऱ्यातली माणसं | दिलीपराज | १९९२ | |
| गिरकी | सुनंदा प्रकाशन | १९७७ | |
| गिरिजाघर | १९७४ | ||
| गिरिजाताईंच्या गोष्टी भाग १ ते १० (बालसाहित्य) | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| चक्रवेध | कादंबरी | राधेय/दिलीपराज/मधुराज प्रकाशन | १९७७ |
| चटक मटक | उद्वेली बुक्स | ||
| चंदनाच्या झाडा | साहित्य वसंत | १९७८ | |
| चंद्रलिंपी | |||
| चला उठा जागे व्हा (बालसाहित्य) | भरारी पब्लिकेशन्स | ||
| चांगल्या चालीचा मनुष्य (संगीतविषयक) | आरती प्रकाशन | ||
| चांदण्याचं झाड | |||
| चिमणचारा | |||
| छान छान गोष्टी (बालसाहित्य) | |||
| जगावेगळी माणसं | इंद्रायणी साहित्य | १९७९ | |
| जन्मठेप | |||
| म. ज्योतिबा फुले (चरित्र) | |||
| झपाटलेला | |||
| झंप्या दि ग्रेट (बालसाहित्य) | |||
| तरी जगावसं वाटतं | मनमोहिनी प्रकाशन | १९७५ | |
| तुम्हालाही आवडेल की वाचायाला ! | |||
| तू सावित्री हो व इतर कथा (बालसाहित्य) | मधुराज प्रकाशन | ||
| दर्शन | हेमचंद्र प्रकाशन | १९८० | |
| दीपस्तंभ | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| देवकुमार | |||
| नक्षत्रवेल | |||
| पश्चिमगंध | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| पूर्ण पुरुष | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| प्रकाशाची दारे | |||
| प्रियजन | ह. ना. आपटे सहकार्याधारित प्रकाशन | २००० | |
| फुलं फुलवणारा म्हातारा आणि इतर गोष्टी | |||
| बरंच काही मनातलं (अनुभवकथन) | नावीन्य प्रकाशन | ||
| श्री ब्रह्मचैतन्य गोंदवलेकर महाराज (चरित्र) | मधुराज प्रकाशन | ||
| मनबोली | |||
| माझं कुंकू सावित्रीचं आहे | सुनंदा प्रकाशन | १९७० | |
| माझ्या आयुष्याची गोष्ट | ह. ना. आपटे सहकार्याधारित प्रकाशन | २००१ | |
| माहेरचा आहेर | १९६८ | ||
| मृत्युपत्र (कादंबरी) | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| यात्रिक | साहित्य चिंतामणी | १९७४ | |
| राखेतली पाखरं | १९७७ | ||
| लागेबांधे | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| लेली | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| सगळं काही तिच्याबदद्दल | |||
| संत गाडगेबाबा (चरित्र) | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| सर्वोत्कृष्ट गिरिजा कीर | |||
| २६ वर्षांनंतर (आध्यात्मिक) | दिलीपराज प्रकाशन | ||
| सासरच्या उंबरठ्यावर | |||
| साहित्य सहवास | दिलीपराज प्रकाशन | १९९७ | |
| स्वप्नात चंद्र ज्याच्या |
पुरस्कार
कीर यांना अनेक पुरस्कारांनी सन्मानित करण्यात आले. त्यापैकी हे -. [३]
- ह.ना.आपटे उत्कृष्ट कादंबरी पुरस्कार,[म.सा.प.]], पुणे
- कमलाबाई टिळक पुरस्कार, पुणे मराठी ग्रंथालय
- अभिरुची पुरस्कार
- श्री अक्षरधन स्त्री साहित्यिका पुरस्कार, मुंबई
संदर्भ
- ^ "ज्येष्ठ लेखिका गिरिजा कीर आता माहितीच्या महाजालावर !". Loksatta. 2013-02-08. 2018-07-04 रोजी पाहिले.
- ^ KEER, GIRIJA (2010-09-01). JANMATHEP. Mehta Publishing House. ISBN 9788171613809.
- ^ कीर, गिरिजा. "आकाशवेध". 2018-07-07 रोजी मूळ पान पासून संग्रहित. 4 जुलै 2018 रोजी पाहिले.