ऐतरेयोपनिषद
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ऐतरेय उपनिषद हे एक उपनिषद आहे. ऐतरेय या ऋषींनी लिहीलेले वा सांगितलेले म्हणून याचे नाव ते ऐतरेय उपनिषद असे झाले. ऐतर हा 'इतरा' या स्त्री हिचा पुत्र होता त्यांनी आपल्या आईचे नाव लावले होते. छांदोग्य उपनिषदात ऐतरेय ऋषींचा उल्लेख आढळतो.
स्वरूप
हे गद्य साहित्य आहे. यात सृष्टिचा जन्म, मानव शरीर उत्पत्ति आणि अन्न उत्पादन याचे वर्णन आहे.
ज्ञान
ऐतरेय उपनिषद आत्मा आणि ब्रह्माबद्दल ज्ञान देणारे आहे. असा प्रवाद आढळतो. यात माणसाची कर्मेंद्रिये कोणती, ज्ञानेंद्रिये कोणती, इंद्रियाचे काम काय पण इंद्रियांनी आपापली कामे करावी म्हणून त्यांना कोण प्रवृत्त करतो? ज्ञानेंद्रियांद्वारे झालेले ज्ञान नेमके कोणाला होते? ज्ञाता कोण? या प्रश्नांची उत्तरे दिलेली आहेत. (येन वा पश्यति ,ये न वा शृणोति,येन वा गंधानाजिघ्रति,येन वा वाचं व्याकरोति,येन वा स्वादु चास्वादुच विजानातिस आत्मा कतर:?) तसेच मृत्यु नंतर पुढे काय याचे उत्तरही यात दिलेले आहे. ह्या उपनिषदात ध्यान-धारणा, प्राणायाम इत्यादी अभ्यासाने ॐ करून ज्ञानप्राप्ति करण्याचे मार्ग दिले आहेत.
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