आदि पुराण
| हिंदू धर्मग्रंथावरील लेखमालेचा भाग | |
| वेद | |
|---|---|
| ऋग्वेद · यजुर्वेद | |
| सामवेद · अथर्ववेद | |
| वेद-विभाग | |
| संहिता · ब्राह्मणे | |
| आरण्यके · उपनिषदे | |
| उपनिषदे | |
| ऐतरेय · बृहदारण्यक | |
| ईश · तैत्तरिय · छांदोग्य | |
| केन · मुंडक | |
| मांडुक्य ·प्रश्न | |
| श्वेतश्वतर ·नारायण | |
| कठ | |
| वेदांग | |
| शिक्षा · छंद | |
| व्याकरण · निरुक्त | |
| ज्योतिष · कल्प | |
| महाकाव्य | |
| रामायण · महाभारत | |
| इतर ग्रंथ | |
| स्मृती · पुराणे | |
| भगवद्गीता · ज्ञानेश्वरी · गीताई | |
| पंचतंत्र · तंत्र | |
| स्तोत्रे ·सूक्ते | |
| मनाचे श्लोक · रामचरितमानस | |
| शिक्षापत्री · वचनामृत | |

आदी पुराण ही ९व्या शतकातील एक संस्कृत कविता आहे जी जिनसेना,एक दिगंबर ऋषी यांनी तयार केली आहे. ती ऋषभनाथ,या पहिल्या तीर्थंकरांच्या जीवनाशी संबंधित आहे.आदि पुराणांची रचना प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ यांच्या जीवनाबद्दल गौरव करणारी संस्कृत कविता म्हणून जिनसेना (एक दिगंबर ऋषी) यांनी केली होती. जैन परंपरेनुसार, हे ९व्या शतकामध्ये लिहिलेले काव्य आहे.
हे कार्य त्यांच्या आत्म्याच्या प्रवासाच्या अद्वितीय शैलीवर व नंतर मुक्ती मिळविण्यावर लक्ष्य केंद्रीत करते.या रचनेत, संपूर्ण जगावर शक्ती व नियंत्रण यासाठी, ऋषभदेवाचे पुत्र भरत आणि बाहुबली या दोन भावांचा संघर्ष चितारण्यात आला आहे.बाहुबली विजयी झाल्यावर, त्याने आपल्या भावासाठी जागतिक व भौतिक गोष्टींचा त्याग केला.
मध्ययुगातील अनेक जैन पुराणांना या कामात एक आदर्श मॉडेल आढळले आहे.